नमस्ते मेरे प्यारे पाठकों! क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में आज भी सेहत और तंदुरुस्ती का असली राज प्रकृति की गोद में ही छिपा है? मैं भी हाल तक यही मानती थी, जब तक मैंने ब्रुनेई की अद्भुत पारंपरिक औषधियों के बारे में गहराई से जाना नहीं। यह छोटा सा, लेकिन बेहद खूबसूरत देश, सिर्फ अपने शाही अंदाज़ या हरे-भरे जंगलों के लिए ही मशहूर नहीं, बल्कि यहाँ सदियों पुरानी ऐसी चिकित्सीय पद्धतियाँ भी मौजूद हैं, जिन पर शायद हममें से बहुतों की नज़र ही नहीं गई।सोचिए, जिस दुनिया में हम हर छोटी-बड़ी समस्या के लिए फौरन दवाओं का रुख करते हैं, वहाँ आज भी लोग स्थानीय जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचारों पर इतना भरोसा करते हैं कि वे इसे अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा मानते हैं। मैंने खुद देखा है कि कैसे यहाँ के लोग अपनी सेहत और ऊर्जा बनाए रखने के लिए इन पारंपरिक तरीकों का सहारा लेते हैं, सिर्फ बीमारी के इलाज के लिए नहीं। यह सिर्फ कुछ पुरानी दवाएँ नहीं, बल्कि एक पूरी जीवनशैली है जो प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलने की सीख देती है। आज जब पूरी दुनिया प्राकृतिक और समग्र स्वास्थ्य समाधानों की ओर फिर से मुड़ रही है, ब्रुनेई की यह विरासत हमें एक अनोखा और प्रभावी रास्ता दिखाती है। यहाँ के घने जंगल और समुद्री किनारे, औषधीय पौधों का एक ऐसा खजाना समेटे हुए हैं, जिसकी कीमत का अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है। तो क्या आप भी इस जादुई दुनिया के बारे में और जानने के लिए उत्सुक हैं?
चलिए, ब्रुनेई के इस अनमोल चिकित्सीय विरासत की गहराई में उतरते हैं और इसके हर पहलू को विस्तार से समझते हैं!
नमस्ते मेरे प्यारे पाठकों!
प्रकृति की संजीवनी: ब्रुनेई के औषधीय जंगल

वनस्पतियों का अनमोल खजाना
ब्रुनेई के घने जंगल, सच कहूँ तो, सिर्फ पेड़-पौधों का झुंड नहीं हैं, बल्कि एक ऐसी विशाल फार्मेसी हैं जिसकी कल्पना भी हम जैसे शहरी लोग शायद ही कर पाते हैं। जब मैंने पहली बार यहाँ के जंगलों में कदम रखा, तो हवा में मिट्टी और पत्तों की एक अनोखी खुशबू थी, जो मन को तुरंत शांत कर देती थी। यहाँ के लोग इन जंगलों को सिर्फ संसाधन नहीं, बल्कि एक जीवित देवता मानते हैं, जिनसे उन्हें जीवनदायिनी औषधियाँ मिलती हैं। मैंने खुद देखा कि कैसे यहाँ के बुजुर्ग, बड़े सम्मान से पौधों के पत्तों को तोड़ते हैं, जैसे वे किसी मंदिर में पूजा कर रहे हों। वे जानते हैं कि कौन सा पौधा किस बीमारी के लिए अमृत है, और यह ज्ञान पीढ़ियों से मौखिक रूप से हस्तांतरित होता आया है। मेरा अनुभव कहता है कि यह सिर्फ किताबों से मिलने वाला ज्ञान नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ गहरा जुड़ाव है। जहाँ हम बीमार पड़ने पर तुरंत फार्मेसी की ओर दौड़ते हैं, वहीं ब्रुनेई के लोग पहले अपने आसपास के हरे-भरे वातावरण की ओर देखते हैं। मुझे याद है, एक बार एक स्थानीय महिला ने मुझे बताया कि कैसे एक खास तरह की पत्ती को पीसकर लगाने से जोड़ों के दर्द में तुरंत आराम मिलता है। यह सुनकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि हम तो इसके लिए पेनकिलर का इस्तेमाल करते हैं।
सदियों पुरानी जड़ी-बूटियों का ज्ञान
यहाँ के पारंपरिक चिकित्सकों, जिन्हें ‘बोमो’ कहा जाता है, का ज्ञान वाकई अद्भुत है। उनके पास सिर्फ जड़ी-बूटियों का ज्ञान नहीं, बल्कि मानव शरीर और मन की गहरी समझ भी है। मैंने एक बार एक बोमो को देखा था जो एक छोटे बच्चे को बुखार के लिए कुछ पत्तियां पीसकर लेप लगा रहे थे। उनकी आँखें उस बच्चे के दर्द को ऐसे समझ रही थीं, जैसे वह उनका अपना बच्चा हो। उन्होंने मुझे बताया कि यह सिर्फ जड़ी-बूटी नहीं, बल्कि इसमें प्रकृति की ऊर्जा भी समाहित होती है जो बीमारी को जड़ से खत्म करती है। यह सिर्फ शारीरिक उपचार नहीं, बल्कि आत्मा का उपचार भी है। मुझे यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि वे सिर्फ पत्तियों और जड़ों पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि पेड़ की छाल, फूलों और यहाँ तक कि कुछ खास तरह के मशरूम का भी उपयोग करते हैं। वे अपने ज्ञान को बहुत पवित्र मानते हैं और इसे केवल उन्हीं लोगों को सिखाते हैं जो इसके प्रति सच्चे होते हैं। यह दिखाता है कि यह सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है। मैंने महसूस किया कि उनके इलाज में सिर्फ दवाई नहीं, बल्कि दुआ भी शामिल होती है, जो शायद सबसे बड़ा उपचार है।
पारंपरिक नुस्खे: घर-घर की सेहत की कहानी
दादी-नानी के घरेलू उपचार
ब्रुनेई में पारंपरिक औषधियाँ सिर्फ ‘बोमो’ के पास ही नहीं, बल्कि हर घर की रसोई और आंगन में भी मिलती हैं। यह कुछ ऐसा है जैसे हमारी दादी-नानी के नुस्खे, जो पीढ़ियों से चले आ रहे हैं। मुझे याद है, मैं एक छोटे गाँव में रुकी थी जहाँ एक बुजुर्ग महिला ने मुझे सुबह-सुबह गरम हर्बल चाय पीने को दी। उन्होंने बताया कि यह चाय सिर्फ शरीर को ऊर्जा ही नहीं देती, बल्कि कई छोटी-मोटी बीमारियों को भी दूर रखती है। उनका विश्वास और ज्ञान इतना गहरा था कि मुझे लगा कि शायद हमारे आधुनिक जीवन में हम कुछ बहुत महत्वपूर्ण खो चुके हैं। यहाँ के लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए भी प्रकृति पर ही भरोसा करते हैं, चाहे वह पेट दर्द हो, सर्दी-जुकाम हो या फिर त्वचा की कोई समस्या। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि वे अपने बच्चों को भी छोटी उम्र से ही इन जड़ी-बूटियों की पहचान और उनके उपयोग के बारे में सिखाते हैं। यह सिर्फ एक उपचार पद्धति नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक विरासत है जिसे वे बड़े गर्व से आगे बढ़ा रहे हैं। मेरा मानना है कि यही वजह है कि यहाँ के लोग, खासकर ग्रामीण इलाकों में, इतने स्वस्थ और खुश दिखते हैं।
आधुनिक चिकित्सा के साथ पारंपरिक मेल
सबसे दिलचस्प बात यह है कि ब्रुनेई में पारंपरिक उपचार सिर्फ पुराने तरीकों तक ही सीमित नहीं है। मैंने देखा है कि यहाँ के लोग आधुनिक चिकित्सा के साथ पारंपरिक तरीकों को बड़े ही समझदारी से जोड़ते हैं। ऐसा नहीं है कि वे डॉक्टर के पास नहीं जाते, बल्कि वे दोनों पद्धतियों का लाभ उठाते हैं। अगर कोई बड़ी बीमारी है, तो वे अस्पताल जाते हैं, लेकिन साथ ही वे अपने पारंपरिक उपचारों को भी जारी रखते हैं। मैंने एक ऐसे परिवार से मुलाकात की जहाँ एक सदस्य को मधुमेह था, और वे इंसुलिन के साथ-साथ कुछ खास जड़ी-बूटियों का भी सेवन कर रहे थे, जिनका उपयोग ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। उनका मानना था कि दोनों मिलकर बेहतर परिणाम देते हैं। यह दिखाता है कि वे कितने खुले विचारों वाले हैं और हर संभव तरीके से अपनी सेहत को बेहतर बनाने में विश्वास रखते हैं। यह एक ऐसा संतुलन है जो हमें भी सीखने की जरूरत है, जहाँ हम सिर्फ एक ही तरीके पर निर्भर रहने के बजाय समग्र स्वास्थ्य की दिशा में काम करें। मुझे लगता है कि यही वजह है कि यहाँ के लोग एक लंबा और स्वस्थ जीवन जीते हैं।
समुद्र और उसके किनारे का खजाना
तटीय वनस्पतियों और जीवों की भूमिका
ब्रुनेई की पारंपरिक औषधियाँ केवल घने जंगलों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इसका समृद्ध समुद्री किनारा भी औषधीय पौधों और जीवों का एक अनमोल खजाना समेटे हुए है। जब मैं ब्रुनेई के खूबसूरत समुद्री तटों पर घूम रही थी, तो मैंने देखा कि कैसे स्थानीय मछुआरे और तटीय समुदाय के लोग समुद्र से मिलने वाली चीजों का उपयोग अपनी सेहत के लिए करते हैं। यह सच में चौंकाने वाला था! वे सिर्फ मछलियाँ नहीं पकड़ते, बल्कि समुद्र के किनारे उगने वाली कुछ खास शैवाल और समुद्री पौधों को भी जानते हैं जिनके औषधीय गुण होते हैं। उन्होंने मुझे बताया कि कुछ प्रकार की समुद्री घास का उपयोग पाचन संबंधी समस्याओं और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। यह दिखाता है कि प्रकृति अपने हर रूप में हमें कुछ न कुछ देती है, बस हमें उसे पहचानना आना चाहिए। मेरा अनुभव है कि तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों का जीवन और उनकी चिकित्सा पद्धति, समुद्र के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाती है। वे जानते हैं कि समुद्र सिर्फ आजीविका का स्रोत नहीं, बल्कि सेहत का भी एक बड़ा जरिया है।
अनदेखी समुद्री औषधियाँ
कई बार हम सोचते हैं कि औषधियाँ सिर्फ धरती पर ही उगती हैं, लेकिन ब्रुनेई ने मुझे सिखाया कि समुद्र के अंदर भी एक पूरी दुनिया है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत कुछ दे सकती है। मैंने सुना है कि कुछ खास तरह की समुद्री मछलियाँ और मोलस्क (सीप जैसे जीव) का उपयोग भी पारंपरिक उपचार में किया जाता है, खासकर जब बात हड्डियों या जोड़ों से जुड़ी समस्याओं की हो। हालांकि, यह ज्ञान काफी हद तक स्थानीय समुदायों तक ही सीमित है और आसानी से उपलब्ध नहीं है। यहाँ एक छोटा सा उदाहरण दिया गया है कि ब्रुनेई में कुछ पारंपरिक औषधियाँ कैसे वर्गीकृत की जाती हैं:
| पारंपरिक औषधि | मुख्य उपयोग |
|---|---|
| सिंबुकान पत्तियां | बुखार और दर्द से राहत |
| डयाक अदरक | पाचन सुधार, सर्दी-जुकाम |
| कैयूपुटी तेल | मांसपेशियों में दर्द, श्वसन संबंधी समस्याएँ |
| टोकाट अलिया | ऊर्जा बढ़ाना, थकान कम करना |
यह सब देखकर मुझे लगा कि हमारी दुनिया कितनी बड़ी है और अभी भी कितना कुछ ऐसा है जिसे हमें खोजना बाकी है। ब्रुनेई के लोग इस अनदेखे खजाने की अहमियत को समझते हैं और इसका सम्मान करते हैं। वे जानते हैं कि इन संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग करना कितना महत्वपूर्ण है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका लाभ उठा सकें।
स्वस्थ जीवनशैली का राज: ब्रुनेई का अनुभव

सकारात्मक सोच और प्राकृतिक जुड़ाव
ब्रुनेई की पारंपरिक चिकित्सा सिर्फ शारीरिक उपचार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र जीवनशैली का हिस्सा है जो मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण पर भी जोर देती है। मैंने यहाँ के लोगों में एक खास तरह की शांति और धैर्य देखा है। वे प्रकृति के साथ गहरे रूप से जुड़े हुए हैं, और मेरा मानना है कि यही उनके स्वस्थ और खुशहाल जीवन का सबसे बड़ा राज है। वे सुबह जल्दी उठते हैं, ताज़ी हवा में सांस लेते हैं और अपने दिन की शुरुआत प्राकृतिक तरीके से करते हैं। मैंने उनसे सीखा है कि तनाव को दूर रखने और मन को शांत रखने के लिए प्रकृति के करीब रहना कितना ज़रूरी है। जब हम अपनी ज़िंदगी में भागदौड़ करते रहते हैं, तो ऐसी शांति मिलना मुश्किल होता है। उन्होंने मुझे बताया कि प्रकृति हमें सिर्फ शारीरिक पोषण नहीं देती, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करती है, जो किसी भी दवाई से बढ़कर है। यह सिर्फ एक तरीका नहीं, बल्कि एक जीवन जीने का दर्शन है।
समुदाय और परिवार का महत्व
ब्रुनेई की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में समुदाय और परिवार का भी बहुत महत्व है। बीमारी के समय, परिवार के सदस्य एक-दूसरे का पूरा ध्यान रखते हैं और पारंपरिक उपचारों को एक साथ मिलकर अपनाते हैं। यह सिर्फ व्यक्ति का इलाज नहीं, बल्कि पूरे समुदाय का एक साथ मिलकर काम करना है। मुझे याद है, एक बार एक बच्चे के बीमार पड़ने पर पूरा गाँव उसकी मदद के लिए आगे आया था। पड़ोसियों ने जड़ी-बूटियाँ लाईं, बुजुर्गों ने सलाह दी और परिवार ने बच्चे की देखभाल की। यह देखकर मेरा मन बहुत भावुक हो गया क्योंकि हमारे शहरी जीवन में हम अक्सर अकेले पड़ जाते हैं। उनका यह सामुदायिक जुड़ाव मुझे बहुत पसंद आया, क्योंकि यह सेहत को सिर्फ एक शारीरिक स्थिति नहीं, बल्कि एक सामाजिक और भावनात्मक स्थिति के रूप में देखता है। यह दर्शाता है कि मानव संबंध और आपसी सहयोग भी किसी भी उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
भविष्य की ओर: पारंपरिक चिकित्सा का संरक्षण
ज्ञान का दस्तावेजीकरण और अनुसंधान
ब्रुनेई सरकार और कुछ स्थानीय संगठन पारंपरिक औषधियों के इस अनमोल ज्ञान को संरक्षित करने के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। मेरा मानना है कि यह बहुत ज़रूरी है क्योंकि समय के साथ कई पुराने नुस्खे और जड़ी-बूटियों का ज्ञान लुप्त होता जा रहा है। मैंने सुना है कि अब इस ज्ञान को लिखित रूप में दर्ज किया जा रहा है और इस पर वैज्ञानिक शोध भी किए जा रहे हैं ताकि इनकी प्रभावशीलता को आधुनिक मानकों पर परखा जा सके। यह सिर्फ पुराने ज्ञान को बचाना नहीं, बल्कि उसे नए रूप में प्रस्तुत करना भी है, ताकि दुनिया भर के लोग इसका लाभ उठा सकें। मुझे खुशी है कि वे इस पर काम कर रहे हैं, क्योंकि यह सिर्फ ब्रुनेई के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक बड़ा योगदान होगा। यह दिखाता है कि वे अपनी विरासत को कितना महत्व देते हैं और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना चाहते हैं। मुझे उम्मीद है कि इस तरह के प्रयासों से यह ज्ञान हमेशा जीवित रहेगा और और भी लोगों को स्वस्थ जीवन जीने में मदद करेगा।
युवा पीढ़ी को सशक्त बनाना
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि युवा पीढ़ी को भी इस पारंपरिक ज्ञान से जोड़ा जा रहा है। स्कूलों और विश्वविद्यालयों में भी पारंपरिक औषधियों के बारे में शिक्षा दी जा रही है, ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और इस विरासत को आगे बढ़ा सकें। मैंने देखा है कि कई युवा अब खुद भी इन जड़ी-बूटियों में रुचि ले रहे हैं और उनके बारे में सीख रहे हैं। यह एक बहुत ही सकारात्मक बदलाव है क्योंकि अक्सर नई पीढ़ी पुराने तरीकों से दूर भागने लगती है। लेकिन ब्रुनेई में ऐसा नहीं है। यहाँ के युवा अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करते हैं और उन्हें बचाए रखने के लिए उत्सुक हैं। मेरा अनुभव है कि जब ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सही तरीके से पहुँचता है, तो वह कभी नहीं मरता। यह सिर्फ कुछ दवाएँ नहीं, बल्कि एक पूरी जीवनशैली और एक पहचान है जिसे वे संजोए रखना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यह एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे हम अपनी प्राचीन ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक दुनिया में प्रासंगिक बनाए रख सकते हैं।
नमस्ते मेरे प्यारे पाठकों! ब्रुनेई के इस अद्भुत सफर ने मुझे सिखाया है कि प्रकृति वास्तव में हमारी सबसे बड़ी दोस्त है। यहाँ के जंगलों, समुद्रों और सदियों पुराने ज्ञान ने मुझे एक नई दृष्टि दी है। मुझे उम्मीद है कि मेरे अनुभव और यह जानकारी आपको भी अपने आसपास की प्रकृति से जुड़ने और अपनी जड़ों को समझने के लिए प्रेरित करेगी। अपनी सेहत को बेहतर बनाने के लिए हमें हमेशा बाहरी स्रोतों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि प्रकृति के करीब आकर उसके अनमोल उपहारों को पहचानना चाहिए। यह सिर्फ एक लेख नहीं, बल्कि एक सीख है जो हमें बताती है कि सच्चा स्वास्थ्य हमारे अंदर और हमारे चारों ओर ही मौजूद है। तो चलिए, इस यात्रा को जारी रखते हैं और प्रकृति के साथ एक गहरा रिश्ता बनाते हैं!
알아두면 쓸모 있는 정보
1. अपने आसपास के औषधीय पौधों को पहचानना सीखें: जैसे ब्रुनेई के लोग करते हैं, आप भी अपने बगीचे या आसपास के पार्कों में उगने वाले कुछ सामान्य औषधीय पौधों की जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं। यह न केवल आपको प्रकृति के करीब लाएगा, बल्कि छोटी-मोटी समस्याओं के लिए प्राकृतिक उपाय भी दे सकता है।
2. पारंपरिक चाय और हर्बल काढ़ा आजमाएं: आधुनिक पेय पदार्थों के बजाय, कभी-कभी पारंपरिक हर्बल चाय या काढ़ा पीकर देखें। यह आपके शरीर को डिटॉक्स करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है, जैसा कि ब्रुनेई की दादी-नानी करती हैं।
3. प्रकृति के साथ समय बिताएं: सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, मानसिक शांति के लिए भी प्रकृति के करीब रहना बहुत ज़रूरी है। सुबह की ताज़ी हवा में टहलना या किसी शांत जगह पर बैठकर प्रकृति को महसूस करना, आपके तनाव को कम कर सकता है।
4. अपने बुजुर्गों से पारंपरिक ज्ञान सीखें: हो सकता है आपके घर में या आसपास कोई ऐसा बुजुर्ग हो जिसके पास पुराने घरेलू नुस्खों या जड़ी-बूटियों का ज्ञान हो। उनके साथ बैठकर यह ज्ञान साझा करें, क्योंकि यह एक अमूल्य विरासत है जिसे हमें संजोए रखना चाहिए।
5. आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा का संतुलन बनाएं: ब्रुनेई के लोगों की तरह, आप भी आधुनिक चिकित्सा को अपनाते हुए पारंपरिक उपचारों के लाभ ले सकते हैं। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें, लेकिन साथ ही प्राकृतिक उपायों को भी अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
중요 사항 정리
ब्रुनेई का अनुभव हमें सिखाता है कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ केवल इतिहास का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि आज भी हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए बेहद प्रासंगिक हैं। मैंने खुद देखा है कि कैसे यहाँ के लोग प्रकृति के साथ एक गहरा और सम्मानजनक रिश्ता निभाते हैं, और उसी से अपनी सेहत का ख्याल रखते हैं। ब्रुनेई के घने जंगल और समुद्री किनारे सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, बल्कि औषधीय वनस्पतियों और जीवों का एक अनमोल भंडार भी हैं। यहाँ के बोमो और हर घर की दादी-नानी का ज्ञान, पीढ़ियों से चली आ रही एक ऐसी परंपरा है जो आधुनिक युग में भी उतनी ही कारगर है। यह सच में प्रेरणादायक है कि वे अपनी प्राचीन विरासत को वैज्ञानिक अनुसंधान और युवा पीढ़ी के सशक्तिकरण के माध्यम से संरक्षित कर रहे हैं। यह एक समग्र जीवनशैली है जहाँ शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। समुदाय और परिवार का आपसी सहयोग, सकारात्मक सोच और प्रकृति से जुड़ाव ही उनके स्वस्थ और खुशहाल जीवन का असली राज है। हमें भी इस ज्ञान से सीखना चाहिए और अपनी जीवनशैली में प्रकृति के महत्व को फिर से स्थापित करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖
प्र: ब्रुनेई की पारंपरिक औषधियां इतनी खास क्यों हैं और ये आधुनिक चिकित्सा से कैसे अलग हैं?
उ: ब्रुनेई की पारंपरिक औषधियों को खास बनाती है प्रकृति के साथ उनका गहरा जुड़ाव। यहाँ के लोग सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं करते, बल्कि उसे आने से रोकने और पूरे शरीर को स्वस्थ रखने पर ज़ोर देते हैं। मैंने अपनी यात्रा के दौरान देखा है कि कैसे वे हर चीज़ के लिए तुरंत केमिकल वाली दवाएँ लेने के बजाय, अपने आसपास के जंगलों और समुद्र से मिली जड़ी-बूटियों पर भरोसा करते हैं। यह आधुनिक चिकित्सा से बिल्कुल अलग है, जहाँ अक्सर सिर्फ लक्षणों पर ध्यान दिया जाता है। ब्रुनेई में तो मानो सेहत एक पूरी जीवनशैली है – संतुलित भोजन, तनावमुक्त जीवन और प्राकृतिक उपचारों का संगम। मुझे तो लगता है कि ये सिर्फ नुस्खे नहीं, बल्कि प्रकृति से मिली एक जीने की कला है जो हमें सिखाती है कि कैसे अपने शरीर को भीतर से मज़बूत करें।
प्र: ब्रुनेई में सेहत के लिए कौन-कौन सी जड़ी-बूटियां और प्राकृतिक चीज़ें सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होती हैं?
उ: ब्रुनेई का घना जंगल और समुद्री किनारा जड़ी-बूटियों का एक असली खजाना है! वैसे तो कई स्थानीय पौधे इस्तेमाल होते हैं, लेकिन मैंने कुछ बहुत ही दिलचस्प चीज़ें देखी हैं। जैसे, कुछ खास पत्तियाँ और छालें हैं जिनका उपयोग बुखार कम करने या दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है। यहाँ तक कि कुछ समुद्री शैवाल और खनिज भी शरीर को डिटॉक्स करने और ऊर्जा बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होते हैं। मैंने देखा कि लोग कैसे कुछ फलों के रस और पत्तियों के पेस्ट को त्वचा की समस्याओं या अंदरूनी बीमारियों के लिए लगाते हैं। ये सिर्फ बीमारियाँ ठीक करने के लिए नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की सेहत और तंदुरुस्ती को बनाए रखने के लिए भी इनका खूब इस्तेमाल होता है। यह सब कुछ इतना प्राकृतिक है कि आपको लगेगा कि आप सीधे प्रकृति की गोद से ही अपनी दवा ले रहे हैं!
प्र: क्या ब्रुनेई की ये पुरानी चिकित्सा पद्धतियां आज भी हमारे लिए फायदेमंद हो सकती हैं और इन्हें हम अपनी ज़िंदगी में कैसे शामिल कर सकते हैं?
उ: बिल्कुल, और मैं तो कहती हूँ कि आज के दौर में इनकी ज़रूरत और भी ज़्यादा है! जब हम इतनी भागदौड़ भरी ज़िंदगी जी रहे हैं, ब्रुनेई की ये पुरानी पद्धतियाँ हमें प्रकृति से जुड़ने और अपनी सेहत को समग्र रूप से देखने की सीख देती हैं। ये हमें याद दिलाती हैं कि छोटी-छोटी चीज़ों से भी बड़ी बीमारियाँ टाली जा सकती हैं। अपनी ज़िंदगी में इन्हें शामिल करने के लिए, हमें ब्रुनेई के लोगों की तरह प्रकृति के प्रति थोड़ा और जागरूक होना होगा। जैसे, ताज़ी सब्ज़ियों और फलों को ज़्यादा महत्व देना, थोड़ी देर प्रकृति के बीच बिताना, या फिर अपने घर के बगीचे में कुछ औषधीय पौधे लगाना। मैंने खुद महसूस किया है कि जब मैंने अपने खाने में प्राकृतिक चीज़ों को बढ़ाया और थोड़ा ज़्यादा समय बाहर बिताया, तो मेरी ऊर्जा का स्तर और मूड दोनों ही बेहतर हुए। हमें यह समझने की ज़रूरत है कि हर छोटी समस्या के लिए दवा लेने के बजाय, हम अपने शरीर को खुद ठीक होने का मौका दें और प्रकृति इसमें हमारी सबसे अच्छी दोस्त है!






